कम्प्यूटर नेटवर्क के अवयव क्या है ?What is Components of a Computer Networking ?
आज आपको हम कम्प्यूटर नेटवर्क के बारे में बताएँगे कंप्यूटर नेटवर्क कई अवयव से बना है जिनके कुछ अवयव के बारे में हम आपको यहाँ बताएँगे तो चलिए हम आपको बताते है कंप्यूटर नेटवर्क क्या है और इनके कितने मुख्यतः प्रकार होते है
Components of a Computer
कम्प्यूटर नेटवर्क के अवयव-
कोई कम्प्यूटर नेटवर्क कई विभिन्न तत्वों या अवयवों का समुच्चय होता है। इनमें से कुछ प्रमुख अवयवों का परिचय नीचे दिया गया है-
1. सर्वर (Server)
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| WHAT IS SERVER |
सर्वर के अलावा नेटवर्क के अन्य सभी कम्प्यूटरों को नोड कहा जाता है। ये वे कम्प्यूटर होते हैं, जिन पर उपयोगकर्ता कार्य करते हैं। प्रत्येक नोड का एक निश्चित नाम और पहचान होती है। कई नोड अधिक शक्तिशाली होते हैं। ऐसे नोडों को प्राय: वर्कस्टेशन (Workstation) कहा जाता है। नोडों को प्राय: क्लाइण्ट (Client) भी कहा जाता है।
3. नेटवर्क केबल (Network Cable)
जिन केबलों के द्वारा नेटवर्क के कम्प्यूटर आपस में जुड़े होते हैं, उन्हें नेटवर्क केबल कहा जाता है। सूचनाएँ एक कम्प्यूटर से नेटवर्क के दूसरे कम्प्यूटर तक केबलों से होकर ही जाती है। इनको प्राय: बस (Bus) भी कहा जाता हैl
4. नेटवर्क ऑपरेटिंग सिस्टम (Network Operating System)
यह ऐसा सॉफ्टवेयर है जो नेटवर्क में एक साथ जुड़े कम्प्यूटरों के बीच सम्बन्ध तय करता है और उनके बीच सूचना के आवागमन को नियन्त्रित करता है। यह सॉफ्टवेयर सर्वर में लोड किया जाता है।
5. नेटवर्क कार्ड (Network Card)
यह एक ऐसा सर्किट होता है जो नेटवर्क केबलों को कम्प्यूटरों से जोड़ता है। इन कार्डों की सहायता से डेटा का आवागमन तीव्रता से होता है। ये कार्ड नेटवर्क से जुड़े प्रत्येक कम्प्यूटर के मदरबोर्ड में लगाए जाते हैं। इनको ईथरनेट कार्ड (Ethernet Card) भी कहा जाता है।
6. प्रोटोकॉल (Protocol)
वह प्रणाली, जो समूर्ण संचार-प्रक्रिया में विविध डिवाइसों के मध्य सामंजस्य स्थापित करती है, प्रोटोकॉल कहलाती है। प्रोटोकॉल की उपस्थिति में ही डेटा तथा सूचनाओं को प्रेक्षक से लेकर प्राप्तकर्ता तक पहुँचाया जाता है। कम्प्यूटर नेटवर्क का आधार भी प्रोटोकॉल ही है।
7. रिपीटर (Repeater)
रिपीटर ऐसे इलेक्ट्रानिक उपकरण होते हैं जो निम्न स्तर (Low level) के सिग्नल्स को प्राप्त (Receive) करके उन्हें उच्च स्तर का बनाकर वापस भेजते हैं। इस प्रकार सिग्नल्स लम्बी दूरियों को बिना बाधा के तय कर सकते हैं। रिपीटर्स (Repeaters) का प्रयोग नेटवर्क में कम्प्यूटरों को एक-दूसरे से जोड़ने वाले केबल की लम्बाई बढ़ाने में किया जाता है।
8. हब (Hub)
हब का प्रयोग ऐसे स्थान पर किया जाता है जहाँ नेटवर्क की सारी केबल मिलती हैं। ये एक प्रकार का रिपीटर होता है जिसमें नेटवर्क चैनलों को जोड़ने के लिए पोर्ट्स लगे होते हैं। आमतौर पर एक हब में 4, 8, 16 अथवा 24 पोर्ट लगे होते हैं। एक बड़े हब में करीबन 24 कम्प्यूटरों को जोड़ा जा सकता हैl इससे अधिक कम्प्यूटरों को जोड़ने के लिए एक अतिरिक्त हब का प्रयोग किया जा सकता है। इस प्रक्रिया (दो या अधिक हबों को आपस में जोड़ना) को डेजी चेनिंग कहते हैं।
9.गेटवे (Gateway)
गेटवे एक ऐसी युक्ति है, जिसका प्रयोग दो विभिन्न नेटवर्क प्रोटोकॉल को जोड़ने में किया जाता है। इन्हें प्रोटोकॉल परिवर्तक (Protocol converters) भी कहते हैं।
10. स्विच (Switch)
स्विच वे हार्डवेयर होते हैं जो विभिन्न कम्प्यूटरों को एक लैन (LAN) में जोड़ते हैं। स्विच को हब के स्थान पर उपयोग किया जाता है। हब तथा स्विच के मध्य एक महत्वपूर्ण अन्तर यह है, कि हब स्वयं तक आने वाले डेटा को अपने प्रत्येक पोर्ट पर भेजता है, जबकि 'स्विच' स्वयं तक आने वाले डेटा को केवल उसके गन्तव्य स्थान (Destination) तक भेजता है।
11. राउटर (Router)
राउटर का प्रयोग नेटवर्क में डेटा को कहीं भी भेजने में करते हैं, इस प्रक्रिया को राउटिंग कहते हैं। राउटर एक जंक्शन की तरह कार्य करते हैं। बड़े नेटवर्कों में एक से अधिक रूट होते हैं, जिनके जरिए सूचनाएँ अपने गन्तव्य स्थान तक पहुँच सकती हैं। ऐसे में राउटर्स ये तय करते हैं कि किसी सूचना को किस रास्ते से उसके गन्तव्य तक पहुँचाना है।
12. राउटिंग स्विच (Routing Switch)
ऐसे स्विच, जिनमें राउटर जैसी विशेषताएँ होती हैं, राउटिंग स्विच कहलाते हैं। राउटिंग स्विच नेटवर्क के किसी कम्प्यूटर तक भेजी जाने वाली सूचनाओं को पहचान कर, उन्हे रास्ता दिखाते हैं।
13. ब्रिज (Bridge)
ब्रिज छोटे नेटवर्कों को आपस में जोड़ने के काम आते हैं, ताकि ये आपस में मुड़कर एक बड़े नेटवर्क की तरह काम कर सकें। ब्रिज एक बड़े या व्यस्त नेटवर्क को छोटे हिस्सों में बाँटने का भी कार्य करता है।
14. मॉडेम (Modem)
मॉडेम एनालॉग सिग्नल्स को डिजिटल सिग्नल्स में तथा डिजिटल सिग्नल्स को एनालॉग सिग्नल्स में बदलता है। एक मॉडेम को हमेशा एक टेलीफोन लाइन तथा कम्प्यूटर के मध्य लगाया जाता है। डिजिटल सिग्नल्स को एनालॉग सिग्नल्स में बदलने की प्रक्रिया को मॉड्यूलेशन (Modulation) तथा एनालॉग सिग्नल्स को डिजिटल सिग्नल्स में बदलने की प्रक्रिया को डिमॉड्यूलेशन (Demodulation) कहते हैं।




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