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08 December 2018

WHAT IS PERMANENT ACCOUNT || WHAT IS CURRENT ACCOUNT | WHAT IS CASH CREDIT ACCOUNT

स्थायी खाता (Permanent Account):

अमेरिका में इसे मियादी जमा (Time deposit) कहा जाता है।  इस खाते में एक निश्चित अवधि के लिए रकम जमा की जाती है। स्थायी खाता बचत खाता की तुलना में अधिक ब्याज देता है। जितने समय के लिए रकम जमा की गई है, उतना समय बीत जाने पर ही निकासी हो सकती है।
निश्चित अवधि के भीतर ही निकासी करना आवश्यक हो जाता है, तब स्थायी जमा की जमानत पर कर्ज मिल जाता है। खाता पहले बन्द करने पर, जिस शर्त पर रुपया जमा किया गया था, उसका पालन नहीं होता। ब्याज उस समय जो रहता है, वही मिलता है। 

चालू खाता (Current Account):

इस खाते में जमा करने वालों को अधिकार है कि वे अपनी इच्छानुसार धन को निकाल सकते हैं एवं जमा कर सकते हैं, इसलिए अमेरिका में इसे माँग जमा भी कहा जाता है। बैंक इस प्रकार के खातों पर जमा हेतु कोई ब्याज नहीं देते एवं एक निश्चित राशि से कम जमा पर जमाकर्ता से व्यय वसूल करते हैं। 

नकद साख खाता (Cash Credit Account):

यह एक ऋण खाता है। इस खाते के अन्तर्गत बैंक खाताधारी को एक निश्चित मात्रा तक ऋण प्राप्त करने का अधिकार देता है। इसी सीमा के अन्दर ऋणी अपनी आवश्यकतानुसार बैंक से रुपया लेता है और जमा भी करता है। ब्याज उसी राशि पर वसूल किया जाता है, जो वास्तव में ऋणी के पास रहती है। 

आवर्ती जमा खाता (Recurring Deposit Account):

इस प्रकार के खातों में, एक निश्चित राशि प्रतिमाह, एक निश्चित अवधि के लिए जमा कराई जाती है। बिना किसी असाधारण परिस्थिति के इसमें से रकम को, निश्चित अवधि के पूर्ण होने से पहले निकाला नहीं जा सकता। इन पर दिया जाने वाला ब्याज, जमा खाते की तुलना में अधिक होता है। 
ऋण (Loan):
वाणिज्यिक बैंक का अन्य महत्वपूर्ण कार्य ऋण देना है। बैंक अपने ग्राहकों, उत्पादकों व व्यापारियों आदि को विभिन्न प्रकार की जमानतों पर ऋण देते हैं, ये ऋण अचल सम्पतियाँ, व्यक्तिगत जमानत के आधार पर नहीं दी जाती। वाणिज्यिक बैंक निम्नलिखित प्रकार के ऋण देते हैं-
(a) ओवर ड्राफ्ट (OD) - चालू खाता वाले जमाकर्ता को उनके खाते में जमा रकम से अधिक राशि निकालने की सुविधा।
(b) ऋण तथा अग्रिम (Debt and Loan)
(c) विनिमय-पत्रों की कटौती (Retrenchment of Exchange Bills)
(d) नकद (Cash Credit)
(e) सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश (Investment in Public Securities) 
ऋण एवं ओवरड्राफ्ट के प्रकार (Types of Loan and Overdrafts):
ऋण लेने की परम्परा भारतीय समाज में प्राचीन काल से ही रही है। किसी भी व्यक्ति द्वारा ऋण तब लिया जाता है, यदि उसे घर खरीदना हो, उच्च शिक्षा प्राप्त करनी हो, गाड़ी खरीदनी हो इत्यादि। ऋण आर्थिक क्रियाकलापों के लिए भी दिया जाता है। यथा- कृषि के क्षेत्र में, व्यावसाय स्थापित करने के क्षेत्र में एवं सेवा क्षेत्र से सम्बन्धित व्यावसाय इत्यादि में बैंक द्वारा ऋण बहुत न्यूनतम दर पर उपलब्ध कराया जाता है। 
भारत में लोन तीन प्रकार के दिए जाते हैं-
1. अल्पकालिक लोन (ऋण) (Short term loan) - यह ऋण (लोन) एक वर्ष से कम अवधि के लिए दिया जाता है।
2. मध्यकालिक (Medium term loan) —एक वर्ष से तीन वर्ष की अवधि के बीच के लिए दिया जाता है।
3. दीर्घकालिक लोन (Long term loan)- यह ऋण तीन वर्ष से ऊपर की अवधि के लिए दिया जाता है।
1. होम लोन (Home Loan):
घर से सम्बन्धित जो लोन लिया जाता है, सामान्यतय: होम लोन कहा जाता है। इसके अन्तर्गत घर खरीदना, घर बनाना, घर का पुनर्निमाण (Renovation) इत्यादि आता है। यह लोन निर्धारित ब्याज दर पर दी जाती है। बैंक कुल लागत का 75 से 80% तक ऋण देती हैं। लोन चुकाने की अवधि 5 वर्ष से 20 वर्ष तक हो सकती है। 
2. व्यक्तिगत ऋण (Personal Loan):
किसी व्यक्ति द्वारा अपने व्यक्तिगत उपयोग के लिए लिया गया लोन, व्यक्तिगत लोन कहलाता है। यह लोन मुख्यत: कर्ज चुकाने के लिए, चिकित्सा उपचार के लिए, बच्चों की फीस भरने के लिए, यात्रा के लिए तथा विवाह सम्बन्धी गतिविधि इत्यादि के लिए लिया जाता है। व्यक्तिगत लोन का ब्याज दर प्रत्येक बैंक का अलग-अलग होता है। यह लोन किसी व्यक्ति के व्यवसाय या पेशा के आधार पर दिया जाता है। व्यक्तिगत लोन चुकाने की अधिकतम अवधि 4 वर्ष तक होती है। 
3. शिक्षा ऋण (Education Loan):
यह लोन विशेषकर उच्च शिक्षा एवं व्यावसायिक अध्ययन के लिए दिया जाता है। यह लोन लेने के लिए गारण्टर (Guarenter) की आवश्यकता होती है, जो अभिभावक या कोई रिश्तेदार हो सकता हैं। यह देश के अन्दर एवं बाहर (Abroad) दोनों के लिए दिया जाता है। सामान्यत: देश के अन्दर पढ़ने के लिए दस लाख तथा विदेशों में पढ़ने के लिए बीस लाख दिया जाता है। 
4. कॉर्पोरेट लोन (Corporate Loan):
जब बैंक बड़े व्यावसायिक कम्पनियों को ऋण देती है तो वह कॉर्पोरेट लोन कहलाता है। कोई भी बैंक अपने अपने कोर कैपिटल (Core Capital) का 55% तक किसी बड़ी कम्पनी को लोन दे सकती है। 
5. वाहन या कार लोन (vehicle & Car Loan):
व्यक्ति पुरानी या नई (old & new) गाड़ी खरीदने के लिए बैंक से जो लोन लेता है, वह वाहन या कार लोन कहलाता है। कार लोन के सन्दर्भ में प्रत्येक बैंक की ब्याज दर अलग-अलग होती है। इस ऋण को चुकाने के लिए बैंक ग्राहकों को EMI (Equated Monthly Installments) की सुविधा देती है या कोई ग्राहक चाहे तो समय से पूर्व भी लोन को चुका सकता है। 
6. गोल्ड लोन (Gold Loan):
गोल्ड लोन बैंक में सोना रखने के बदले में नकद (cash) लेने की प्रक्रिया है। यहाँ लोन लेन के लिए बैंक में सिक्योरिटी (security) के रूप में सोना रखना होता हैं। इस लोन पर लिया गया ब्याज दर पर्सनल लोन की तुलना में कम होता है। इस सन्दर्भ में प्रत्येक बैंक की ब्याज दर अलग-अलग होती है। 
7. टर्म लोन (Term Loan):
यह लोन निर्धारित समय अवधि के लिए एवं उपयुक्त (applicable) ब्याज दर पर दिया जाता है। यह लोन अल्पकालिक अवधि (तीन वर्ष तक) तथा दीर्घकालिक अवधि (10 से 15 वर्ष तक) के लिए दिया जाता है। इसके अन्तर्गत ग्राहक को प्रत्येक माह ब्याज की राशि एवं लोन की राशि को बराबर किस्तों (equal installment) में बैंक में जमा करना होता है। 
8. प्रोपर्टी लोन (Property Loan):
प्रोपर्टी लोन वह लोन है, जो बैंक आपकी प्रोपर्टी के कागजात (document) को गिरवी (mortgage) रख के देता है। इस लोन को चुकाने की अवधि अधिकतम 15 वर्ष होती है। प्राय: लोन की रकम/राशि कागजात में अंकित राशि का 40 - 60% होता है। 


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