क्यों बैंक की जरूरत है?
बैंक (Bank) उस वित्तीय संस्था को कहते हैं जो जनता से धनराशि जमा करने तथा जनता को ऋण देने का काम करती है। लोग अपनी बचत राशि को सुरक्षा की दृष्टि से अथवा ब्याज कमाने के हेतु इन संस्थाओं में जमा करते और आवश्यकतानुसार समय-समय पर निकालते रहते हैं। बैंक इस प्रकार जमा से प्राप्त राशि को व्यापारियों एवं व्यवसायियों को ऋण देकर ब्याज कमाते हैं। आर्थिक आयोजन के वर्तमान युग में कृषि, उद्योग एवं व्यापार के विकास के लिए बैंक एवं बैंकिंग व्यवस्था एक अनिवार्य आवश्यकता मानी जाती है। राशि जमा रखने तथा ऋण प्रदान करने के अतिरिक्त बैंक अन्य काम भी करते हैं जैसे,
सुरक्षा के लिए लोगों से उनके आभूषण आदि बहुमूल्य वस्तुएँ जमा रखना,
अपने ग्राहकों के लिए उनके चेकों का संग्रहण करना,
व्यापारिक बिलों की कटौती करना,
एजेंसी का काम करना,
गुप्त रीति से ग्राहकों की आर्थिक स्थिति की जानकारी लेना-देना।
अत: बैंक केवल मुद्रा का लेन देन ही नहीं करते, वरन् साख का व्यवहार भी करते हैं। इसलिए बैंक को साख का सृजनकर्ता भी कहा जाता है। बैंक देश की बिखरी सम्पति को केन्द्रित करके देश में उत्पादन के कार्यों में लगाते हैं। जिससे पूँजी निर्माण को प्रोत्साहन मिलता है और उत्पादन की प्रगति में सहायता मिलती है।
जमा की सुरक्षा (Safety of Deposits):
बैंक को पैसा जमा करने के लिए एक सुरक्षित जगह के रूप में देखा जाता है। यह अव्यावहारिक और जोखिम भरा नकदी के रूप में अपने सभी बचत रखने के लिए है। यह लोगों के पैसे को अक्सर जल्दी भुगतान और सम्पति को सुरक्षित रखने के लिए है।
बैंक एजेण्ट की हैसियत से मुख्यत: निम्न कार्यों को करता है-
विनिमय साध्य साख-पत्रों का भुगतान करना,
ग्राहकों की ओर से रुपये का भुगतान करना,
भुगतानों को प्राप्त करना,
प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय,
रूपये का हस्तान्तरण,
प्रमाण-पत्रों तथा यात्रियों के चेकों को जारी करना,
विदेश विनिमय का क्रय-विक्रय,
निर्णयकर्ता के रूप में कार्य करना,
सुरक्षा सम्बन्धी कार्य।
बैंकिंग उत्पाद (Banking Products):
खातों के प्रकार (Types of Accounts)- ये निम्न प्रकार के होते हैं -
बचत खाता (Saving Account):
इस प्रकार का खाता प्राय: उन व्यक्तियों के लिए उपयुक्त होता है, जो कभी-कभी तथा बहुत छोटी-छोटी मात्राओं में रुपया जमा करना या निकालना चाहते हैं।
बचत खाता मुख्यत: निश्चित एवं कम आय वाले गृहस्थों की सुविधा के लिए तथा उनमें धन संचय की प्रवृत्ति जाग्रत करने के लिए खोला जाता है।
इस प्रकार के खातों में से आवश्यकतानुसार, जितनी बार चाहे, रुपया निकाला जा सकता है। इसमें भी जमा की कोई निश्चित अवधि नहीं होती। इस खाते में रकम जमा करने पर कोई प्रतिबन्ध नहीं है, लेकिन जमा की अधिकतम सीमा निश्चित है।



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